#Lekh सामाजिक प्रतिबद्धताओं से सजा व्यंग्य संग्रह: शोरूम में जननायक समीक्षक: एम. एम. चन्द्रा
अनूप मणि त्रिपाठी का पहला व्यंग्य संग्रह “शोरूम में जननायक” में लगभग तीन दर्जन व्यंग्य है. व्यंग्य संग्रह में भूमिका नहीं
Read moreअनूप मणि त्रिपाठी का पहला व्यंग्य संग्रह “शोरूम में जननायक” में लगभग तीन दर्जन व्यंग्य है. व्यंग्य संग्रह में भूमिका नहीं
Read moreतेरे बगैर मैं तो तन्हा जिया करता हूँ! शामों-सहर मैं तुमको याद किया करता हूँ! जिन्द़गी थक जाती है करवटों
Read moreइस रंग बदलती दुनिया के, इंसान भी बड़े निराले हैं, बाहर बाहर से उजले हैं ये, पर अंदर से काले
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