Day: April 9, 2018
##Muktak by Annang Pal Singh
भारत माँ के पुत्र हम , इसपर कर अभिमान ! सदविचार ,सदभाव का ,यहाँ खजाना जान !! यहाँ खजाना जान
Read more#Muktak by Dr Krishan Kumar Tiwari Neerav
मुक्तक पुस्तकें नहीं मिलतीं कापियां नहीं मिलतीं, जिन गरीब बच्चों को स्याहियाँ नहीं मिलतीं, कल को वह कुली जैसी नौकरी
Read more#Kavita by Rajendra Bahuguna
सामयिक राजनैतिक घटनाक्रम जनता क्यों पागल बनती है चोरों को नेता चुनती है फर्जी वोट कंहा से आते, मुर्दे को
Read more#Kavita by Mainudeen Kohri
साख बधाई लुगायां,इतिहास भरै साख पन्ना – पदमण,मीरां री पहचाण रंग रुड़ो घणो है राजस्थान महारो…………………………..! खनिज सम्पदा सूं भरपूर
Read more#Kavita by Nawal Pal Prabhakar
प्रकृति प्रकृति ने देखो हमें दिया है अनोखा उपहार, हर जगह हरियाली है प्रकृति से मुझे है प्यार ।
Read more#Kavita by Dr Arvind Yadav
हाशिए पर खड़ा जीवन —————- आज इतनी लंबी यात्रा के बाद भी दिखाई देते हैं बैसे ही काफिले चमचमाती कारें
Read more#Gazal by Ishq Sharma
मुझे कहती है कि, चलो चाँद पर जाएंगे मैंने कहा तुम्हारे रहते हम किधर जाएंगे “””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””” वो शरमा कर बाँहों
Read more#Gazal by Kavi Arvind Srivastava Dard
गज़ल़ –‘- गरीबी के दिनों में जिन्दगी बेजार लगती है, हमें यह जिंदगी अब दोस्तों दुश् वार लगती है ।
Read more#Kavita by Mukesh Marwari
मनहरण घनाक्षरी छन्द:- “कृष्ण शौन्दर्य” पीले पीले पट पीले, मधुर नयन नीले, कमर की करधनी, शोर शोर करती
Read more#Shayari by Manju Mittal
अभी से क्यों छलक आये तुम्हारी आँख में आंसू अभी छेड़ी कहाँ है, दास्ताने – जिन्दगी मैंने,.,!!! ** कितना मुश्किल
Read more#kavita by Kavi Sharad Ajmera Vakil
बूड़े हैं ,बीमार हैं ,लाचार हैं माँ बाप राह तकते ,देखने को तरसते पता कर लो तुम्हारी चेन की नींद
Read more#Kavita by Jasveer Singh Haldhar
गीत – सरस्वती वंदना ————————- मान रखो हे मात शारदे , जैसा आता वैसा गाता ! डूब गया हूँ शब्द
Read more#Kavita by Ramesh Raj
रमेशराज का लोकगीत –“ डिजीटल कर ले लांगुरिया “ ————————————————————– दाल डिजीटल हो गयी, उसके सँग में प्याज चकाचौंध में
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