#Kavita by Salil Saroj
#धर्म किसी की भी बेटी से बड़ा कभी नहीं हो सकता पहले मेरे बदन से नफरत हुई इसलिए उसे नोचा फिर
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Read moreडा.भीमराव अंबेडकर पर लाल बिहारी लाल के कुछहाइकू 1. भुगताखुद कुरीतियोंका दंश बना नकंश। 2. सामनाकिया कुंदन-सानिखरा बनामहान। 3. दलितपुत्र
Read moreआरक्षण आरक्षण का खेल ये भैया आरक्षण का खेल, अफसर बाबू बना हुआ है कल का मैट्रिक फेल। तुम ही
Read moreहवा में अनजान सा डर, बसा क्यों है ! हर लम्हा ज़िन्दगी का, खफा क्यों है ! गुज़रती हैं स्याह रातें करवटें बदलते, ये ज़िन्दगी भी यारो, इक सज़ा क्यों है ! घर में छायी हैं बला की खामोशियाँ, दर ओ दीवार पर मातम, सजा क्यों है ! दिल के कोनों में बढ़ गयी है हलचल, बीती यादों का ये वबंडर, उठा क्यों है ! जब चाह थी जीने की न जी सके “मिश्र” फिर से हसरतों का मेला, लगा क्यों है !
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