गजल – एक किनारे
एक किनारे
रम जा प्यारे
कितने न्यारे
स्वप्न हमारे
मन की करते
राज -दुलारे
है सरकारी
खूब उडा रे
क्या जीतेंगे
मन के हारे
दोनों तन्हा
गिनते तारे
कौन ख़ासियत
पास तुम्हारे
जोखिम वाले
जा मँझधारे
किसकी सिद्धी
सभी सँवारे
महकी बातें
‘सुमन’ सुना रे
लक्ष्मी खन्ना ‘ सुमन’