#Gazal by sameer shahi
हसीन हादसा
उसका हमपर बाकी बड़ा एहसान है,
उसे भूलना वैसे भी कहाँ आसान है.
उसका मिलना एक हसीन हादसा ठहरा,
जेहन पर कायम मुकम्मल निशान है.
दो पल मिले कभी – गुफ्तगू भी की,
पता चला उनके मुंह में भी जबान है.
रास्ते में मिलता है अज़नबी की तरह,
हमीं जानते हैं उसे – वो तो अनजान है.
तेरे शहर में अपना ठिकाना पक्का है,
पैरों तले ज़मीन है-सर पे आसमान है.
मीलों या सदियों में कहा सिमटेगा,
ये फासला जो तेरे-मेरे दरमियान है.
बंद कमरे में समेट रखो सर्द आहें अपनी,
बाहर गर्मी बहुत है औ’ बढ़ा तापमान है,
उसके ख़्वाबों में गर्दिश किसी और की है,
हमारा नाम तो मुफ्त में ही बदनाम है….
1058 Total Views 3 Views Today
Thanks for the post…
बहुत सुंदर समीर
बहुत बधाई
उसके ख़्वाबों में गर्दिश किसी और की है,
हमारा नाम तो मुफ्त में ही बदनाम है….