#Gazal by Pankaj Sharma Parinda
गांव में जब हम पुराने घर गये
देखकर मंज़र वहाँ का डर गये।
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गूँजा करती थीं जहाँ किलकारियाँ
क्यूँ वहाँ हालात हो बदतर गये।
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एक थी दीवार आँगन में खड़ी
देखकर जीते जी हम तो मर गये।
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पूछती हैं प्रश्न घर की खिड़कियाँ
किसलिये हमको यूँ’ तनहा कर गये।
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झूमते बागान थे जिस जिस जगह
फूल बिन पतझड़ के उनसे झर गये।
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लहलहाती थी फसल खेतों में तब
आज देखा हो सभी बंजर गये।
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बूढ़ा बरगद भर रहा था सिसकियाँ
क्यों “परिंदे” उसके भूखे मर गये।
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|| पंकज शर्मा “परिंदा” ||