#Gazal by Vinod Sagar
हर बाधा का हल निकलेगा।
आज नहीं तो कल निकलेगा।
थककर सोया है जो सूरज,
वो निश्चित ही कल निकलेगा।
कलियाँ भी महकेंगी उस दिन,
जिस दिन उनमें दल निकलेगा।
कर्म करो नेकी का जग में,
उसका मीठा फल निकलेगा।
नाम बड़ा होगा जिस दिन भी,
खोटा सिक्का चल निकलेगा।
रावण-बाली बच न सकेंगे,
भाई में जो छल निकलेगा।
‘सागर’ मीठा हो ग़र तो फिर,
सहरा में भी जल निकलेगा।
-विनोद सागर
129 Total Views 3 Views Today