#Geet by Surendra Kumar Singh Chans
एक एहसास मां के साथ होने का।माँ नए रूप में हमारे साथ है।उसका जो असर है जीवन पर उसीको उद्घाटित करती हुई एक गीत।
माँ जब से दिल के मंदिर में रहने आयी हैं
दिन हंसते हैं रातें मीठे बोल सुनाती हैं।
कड़ी धूप में बादल मेरे संग संग चलता है
नफरत की आंधी में देखो प्रेम दिया जलता है
रूठी रूठी पुरवाई भी साज बजाती है
आग सिमट कर छुई मुई सी सगुन मनाती है
दिन हंसते है…
बांह पसारे शाम बुलाये आ मुझमे खो जाओ
सुबह कहे बड़ी देर हुई मुझे और नही तरसाओ
ये कानाफूसी कोलाहल सन्नाटे में क्यों डूब गया
आंखे सब कुछ पढ़ पढ़ मुझको समय बताती हैं
दिन हंसते है….
जीवन जन्म मृत्यु तक फैली एक अमिट रेखा है
हर युग ने सपना देखा था
हमने भी देखा है
कैसे कह दें सपने ये साकार नही होंगे
मां बादल बिजली सूरज बन युगति बताती है
दिन हंसते हैं रातें मीठे बोल सुनाती हैं
मां जब से दिल के मंदिर में रहने आयी है।
सुरेंद्र कुमार सिंह चांस