#Kavita by dharmender arora musafir
*हवाओं में दीपक*
इरादों को तुम आज़माया करो !
हवाओं में दीपक जलाया करो !!
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बहारों का कुछ भी भरोसा नहीँ !
खिज़ाओं में गुलशन सजाया करो !!
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किसी का कभी भी न कोई हुआ !
हकीक़त ये मन में बसाया करो !!
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खुशी के’ दिलों में जलाकर दिए !
ग़मों का अँधेरा मिटाया करो !!
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गिराना किसी को जहानत नहीँ !
मुहब्बत से’ सबको उठाया करो !!
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तराने सुहाने ही’ गाओ यहाँ !
न ग़मगीन नगमें सुनाया करो !!
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डगर नेकियों की बड़ी चीज़ है !
दुआओं में रब को मनाया करो !!
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मुसाफ़िर करे है गुज़ारिश यही !
न दिल को किसी के दुखाया करो !!
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धर्मेन्द्र अरोड़ा “मुसाफ़िर”
9034376051