#Kavita by Dinesh Pratap Singh Chauhan
भलमनसाहत और सियासत,क्या कहते हो मियाँ ?
इस ज़मीं के नहीं हो , कहाँ रहते हो मियाँ ?
यूँ मौत से भी जंग की बातें करो हो तुम
पत्नी की एक डाँट से लरज़ते हो मियाँ
यूँ गीत मुहब्बत के बहुत गा चुके हो तुम
इस इश्क़ के मतलब को भी समझते हो मियाँ ?
जब विष उतारने का मन्त्र नहीं जानते
तो साँप आस्तीन में क्यों रखते हो मियाँ ?
इस झूठ पर भी यक़ीं ही करने का मन करे
तुम झूठ को भी इस अदा से कहते हो मियाँ
“दिनेश प्रताप सिंह चौहान”
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