मृग की अभिलाषा
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मृग जोड़े का देख प्रेम इजहार
वन में आ गई मानों बसंत बहार ।
फुदकते-उछलते कर अठखेलियां
दे रहें संदेश प्यार से चले संसार ।।
माया मोह का नही जहां बाजार
न ही होते है इनके पास औजार ।
फिर भी सुरक्षित नही यह मिलन
न जाने कब कर ले कोई शिकार ।।
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