#Kavita by Jasveer Singh Haldhar
गीत – सैन्य जीवन
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इक विषैला नाग मानो ,
शीश के ऊपर लटकता !
पाँव के नीचे सुरंगें ,
ध्यान दुश्मन पर अटकता !
मौत झूला झूलती है ,
जिंदगी के संग मिलकर !
चाँद की कुछ हरकतों से ,
दिख रहे हैं तंग दिनकर !
दिन उजाले में नहीं क्यों ,
संधि करने को फटकता !
ध्यान दुश्मन पर अटकता !!1
युद्ध का बाजा बजे जब,
शांति वाही तुरत जागें !
नींद से आँखें चुराएँ ,
शस्त्र धारें और भागें !
पिघलकर बारूद देखो ,
बह रहा कैसा मटकता !
ध्यान दुश्मन पर अटकता !!2
गा रहे हैं वीर गाथा ,
अस्त्र कंधों पर उठाये !
गिद्ध मँडराने लगे हैं ,
आँख धरती पर गढ़ाये !
हरित वर्दी क्रोध में आ ,
पाक खाकी को सटकता !
ध्यान दुश्मन पर अटकता !!3
समर में दम तोड़ देंगी ,
मात बहनो की दुआयेँ !
काल के मांथे लहू से ,
वीर लिख देंगे ऋचायेँ !
भारती का लाल “हलधर ,
घूँट विष कब तक गटकता !
ध्यान दुश्मन पर अटकता !!4
हलधर