#Kavita by Kavi Rajesh Purohit
युवाओं के लिए खास )
ये वतन तुम्हारा है..
रक्त नहीं उबलता तुम्हारा क्या
जब हवस के भेड़िये छलते हैं
माँ बहनों की अस्मत लूटकर
तुम डरे डरे घर आ दुबकते हो
सीना छलनी कर दो दरिंदों का
जो ऐसे कुकृत्य कर इतराते हैं
संस्कृति की उड़ा धज्जियां ये
दिन दहाड़े हैवानियत करते हैं
भ्रटाचार के दलदल को देख के
क्या तुम्हारी मति भ्रष्ट हो जाती
रिश्वत के रुपयों की होली जलाते
किसी गरीब का घर रोशन करते
तुम सुभाष से वीर धीर गंभीर हो
भगतसिंह से निर्भीक महावीर हो
आज़ाद से बन कर रहो निडर तुम
कुछ जोश उल्लास उमंग जगाओ
देशसेवक बन तुम भी आगे बढ़ो
न रुको न झुको अन्याय के सामने
नित आगे बढ़ो सत्पथ पर बढ़ो
बूढ़े माँ बाप जब भोजन बनाते है
कांपते हाथ तुम्हें नज़र नहीं आते
इतने निर्दयी न बनो नोजवानों तुम
इन बुजुर्गों की सेवा का प्रण करो
ये वतन तुम्हारा है परिवार समझो
माँ भारती का नित गुणगान करो
युवाओं अब जागो कदम बढाओ
कवि राजेश पुरोहित