#Kavita by Mam Chand Agrwal Vasant
और झमाझम बारिश
घुँघराले कुंतल से बादल,और झमाझम बारिश।
घिर-घिर आए श्यामल-श्यामल,और झमाझम बारिश।
ठंडी-ठंडी पुरवाई में,दूर तलक लहराया
इंद्रधनुष सा तेरा आँचल,और झमाझम बारिश।
चपला सी चंचल चितवन ने,जुल्म किया कुछ ऐसा
मन मेरा कर डाला घायल,और झमाझम बारिश।
झन-झन,झन-झन झींगुर के स्वर,छिड़ी रागिनी जैसे
बजी तुम्हारीजैसे पायल,और झमाझम बारिश।
पर्वत से नदियाँ उतरी,ज्यों,हिरणी भरे कुलाँचे
बजा कहीं पर जैसे माँदल*,और झमाझम बारिश।
*माँदल-झारखंड का एक वाद्य यंत्र जो ढोलक से मिलता जुलता होता है।
-मामचंद अग्रवाल वसंत
सीमा वस्त्रालय,राजा मार्केट
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