#Kavita by Mast Prakash Panchal
बस यूँ ही … भाई का इशारा …
ना मंदिर, ना मस्जिद की ओर दौड़ते है।
चलो हम सब स्कूल की ओर दौड़ते है। ।
कब बदलेंगी मानसिकता जाति धर्म की ,
चलो इसी नफ़रत को छोड़ते हैं। ।
जिन्दगी में अनेक लिंक खाते होंगे
चलो प्यार मोहब्बत को आधार से जोड़ते हैं। ।
इंसान को इंसान के बराबर तो आने दो ,
चलो फिर रेस में एक साथ दौड़ते हैं। ।
नही भटकेगा कोई यहाँ मजहब के नाम पर,
चलो भाई को भाई की ओर मोङते है
अब नहीं भरेंगा ज़हर का घङा,
चलो इस घङे को फोङते है
ये जिन्दगी भी कितनी “मस्त” है
चलो तेरी मेरी बातें करनें वाले को तोड़ते हैं। ।
===मस्तप्रकाश पांचाल मेघवाल अरणाय सांचोर जालोर राजस्थान =====
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