#Kavita by Ram Sharma, Bharatpuri
प्यारी ओ प्रियतमा , यूं सताया ना कर |
थोडी नजरों से हमको, पिलाया भी कर ||
ये यादें ये रातें ,और सपने मेरे
घर पराऐ नही , ये सब घर हैं तेरे
यहां घडी दो घडी, आया -जाया भी कर || 1.
थोडी नजरों से हमको….
ऐसे गुमशुम रहने कीं , क्या है वजह ,
कोई शिकवा शिकायत, तो मुझसे कह,
मैं हक हूं तेरा , हक जताया भी कर || 2.
थोडी नजरों से हमको …..
हे रुप रंग ,रस के मोती
दिल के अंतस की, नव ज्योति
मेरी अंतस की लौ को, जलाया भी कर || 3
थोडी नजरों से हमको …..
जुल्फों में अदाऐं ,बल खाऐं
रुखसारों पर फिजाऐं ,मंडराऐं
ऐसे गुलशन में मुझको, सुलाया भी कर || 4.
थोडी नजरों से हमको …
प्यारी ओ प्रियतमा…..
राम शर्मा -भरतपुरी
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